Sunday, May 31, 2015

'नमकीं समंदर..'






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"आसूँ जो बहते हैं..नज़र नहीं पाते..
मेरे घर सैलानी परिंदे नहीं आते..१..

आया करो..फ़क़त बाँध गमे-गठरी..
सुनो..दिन गिरफ़्त के रोज़ नहीं आते..२..

जानता हूँ..साज़िशें औ' क़वायद उनकी..
नक़ाब पे उल्फ़त वाले रंग नहीं आते..३..

गुलज़ार रहे ताना-बाना..सुर-ताल के..
क़द्रदान..नमकीं समंदर में नहीं आते..४..!!!"

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--रॉ स्टफ..

Wednesday, May 13, 2015

'प्योर शॉट्स..प्यारे थॉट्स..'




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"ये तेरे मेरे बीच का..
साइलैंस..
क़हर दोनों पे ढाता है..

जानती हूँ..
सोते नहीं हो..
रातों को..
मेरे बिन..

ख़ुशबू..गिरफ़्त..
जाने कैसा ये नाता है..

सदियों को जीया..
जिस-जिस पल..
दर्द अपना..
हर शब सुनाता है..

पैच-अप की गुंजाइश रखना..
लिखा मेरे पास..
नोक-झोंक का खाता है..

पक्के रंग..मोहब्बत वाले..
रंगरेज़ चढ़ा गया जिस्म पे..
फबे जिसपे तेरी छुअन..
रूह का कपड़ा..ऐसा ही आता है..!!"

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--रॉ..प्योर रॉ..प्योर शॉट्स..प्यारे थॉट्स..

Tuesday, May 5, 2015

'तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..'




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"यूँ धीरे-धीरे जो पकती है..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..

मैं चावल-सा कड़क..
तुम दूध-से कोमल..

तुम चीनी-से मीठे..
मैं केसर-सा गर्म..

तुम बादाम-से गुणकारी..
मैं पिस्ता-सा नटखट..

तुम किशमिश-से स्वादी..
मैं मलाई-सा जिद्दी..

रंग चढ़ा ऐसा..
लबरेज़ हो गया हूँ..

केसरिया गाते-गाते..
केसरिया हो गया हूँ..

आओ न..
चख़तें हैं..
साथ बैठ..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..!!"

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--यूँ कि ‪#‎जां‬ की पसंदीदा है..खीर..