Monday, November 30, 2015

'कशिश..'




...

"मेरे हर उस खालीपन को..भर जाते थे तुम..
उँगलियों से अपनी..किस्सा गढ़ जाते थे तुम..
दरमियाँ होतीं थी..अनकही बातें..औ' कशिश..
चहकता था..कुछ यूँ..रूह का इक-इक पुर्ज़ा..
गर्माहट से अपनी..साँसें निहार जाते थे तुम..!!!"

...

'मुहब्बत वाला हग़..'




...

"दरार जिस्म पे थी..या..रूह की डाली यूँ ही विचलित हुई.. कुछ रिश्तों में साँसें ही साक्ष्य देतीं हैं.. अनगिनत रातों की स्याही..ग़म के रंग कैनवास पर छेड़तीं हैं..राग भैरवी..

'मैं' समेटती आवारगी वाले हिसाब..स्पर्श की सुगंध से सराबोर मुहब्बत वाला हग़..और मेरा सफ़ेद लिबास..!!"

...


--कुछ बेहिसाब-से खाते..

'रूह का हरा..'






...

"मेरे मन का पीला..
औ' तेरी रूह का हरा..

बहुत सताता है..
दूरियों का ज़खीरा..

मिलो किसी शब..
ग़म पिघल जाएँ..

साँसों में घुले..
मुहब्बत कतरा-कतरा..!!"

...

'लफ़्ज़ों की टोली..'






...

"इश्क़ करना..
'मेरी ख़ता'..

अबसे न होगी..
लफ़्ज़ों की टोली..

तेरी ज़िन्दगी में..
मेरी आँख-मिचौली..

याद न करना..
मुझे कभी..!!"

...

--सबब-ए-मोहब्बत..

'गिलाफ़ देह वाले..'




...

"पल-पल संवरते..
कुछ आबाद लम्हें..
शबनमी साँसें..
रूहानी रूह..

नमकीं सौगात..
शब-भर..
रेशमी बाँहें..

दिन भर वो ज़ालिम हैंगओवर..
इतिहास मानिंद हमारा भूगोल..

तह खोलता-बांधता..
मौसम का राग..

गिलाफ़ देह वाले..
उतार दें..
चल आज..!!"

...

'गल्लां दोस्ती वाली..'



#‎जानेमन‬..

...

"अधूरी यादें..
अधूरी बातें..
वक़्त की कसती पकड़..

तेरी अपनी रेस्पोन्सिबिलिटीज़..
मेरी अपनी ड्यूटीज़..

गहरायें आंधियाँ..
सरसरायें सर्दियाँ..

मुहब्बत के परिंदे..
उड़ें-बैठें..
सवालों की रोड़ी..
बिछे-उखड़े..

गल्लां दोस्ती वाली..
होतीं रहेंगी..
पल-पल..
आज और कल..!!"

...

'तुम्हारा मरून..'




...

"मुझे भाता है..
तुम्हारा मरून..

वो बिंदास हँसी..
वो खनकती आवाज़..
वो मुझसे हर सवाल को बार-बार पूछना..
वो..हर बार कहना..
'क्या कहूँ..तुम्हें सब पता है'..

और हाँ..

वो एक सिंपल 'हग़'..

मुश्किलों के दौर में..
आज़ादी के छोर में..
रूह का ठिकाना 'वो' ही रहेगा..!!"

...

--एहसास प्यार वाले..

'मोहब्बत के फ़साने..'




...

"इस गुलाबी सर्दी में..
तरसती उंगलियाँ..
तेरी छुअन..

आ किसी रोज़..
लफ़्ज़ों में ही लिपट कर आ..

बंदिशे यूँ भी..दरमियाँ..
ठहर सकतीं नहीं..!!"

...


--एहसास प्यार वाले..

'प्यार वाले किस्से..'





...

"तुम उल्फ़त लिखतीं..
मैं दर्द..

तुम सुकूं लिखतीं..
मैं अश्क़..

तुम बेबाक़ी लिखतीं..
मैं वहशत..

तुम पोर लिखतीं..
मैं नासूर..

तुम ज़िन्दगी लिखतीं..
मैं ‪#‎जां‬..!!"

...

--प्यार वाले किस्से.

Saturday, November 28, 2015

'एहसासों का एहसान..'





#‎जां‬

...

"कितना कुछ था कहने को..
इस धूप-छाँव के खेल में..

वो लंबे 'पौज़ेज़'..
वो तुम्हारी साँसों का दख़ल..
मेरी रूह का 'फ़ूड फॉर थॉट'..

वो तनहा रातों पे..
कब्ज़ा तुम्हारा..

उन बेशुमार एहसासों का एहसान..
शुक्रिया कहूँ तो..
'कोई एहसान नहीं किया..मैंने'..

कैसे करते हो..
सब कुछ मैनेज..
मेरे लिए तो..
हर वक़्त अवेलेबल..

सुना है..
रिलायंस का नया ऑफर..
'अनलिमिटेड कालिंग' दे रहा है..
ले लूँ फ़िर..
ये कभी न थमने वाला गैजेट..

मेरे दिल से तेरे दिल के..
नाते कुछ पुराने हैं..
डिस्टेंस से कम न हुए..
मोहब्बत के फ़साने हैं..!!"

...

--एहसास प्यार वाले..

Tuesday, November 17, 2015

'तड़पते एहसास..'








...

"साज़िशों की देह..
कुछ सीक्रेट्स की फ़तेह

बिरही राग होंठ लगे..
कुछ तनहा रतजगे..

अंतस की कलाई..
कुछ नमक-ए-वफ़ाई..

चाँद की तन्हाई..
कोई ग़मगीन रुबाई..

उदासी के ज़ज़ीरे..
कुछ सुर्ख लकीरें..

एडजस्टमैंट का सुरूर..
उजले दिन का गुरूर..

तड़पते एहसास..
कच्चे टुकड़े..आत्मा वाले..!!"

...

--तपती रही..साल भर..तुम लरजते रहे..

'रतजगे नशीले-से..'





‪#‎जां‬

...

"तेरे आने-जाने में सदियाँ थम गयीं..
तेरी लकीर से मेरी तक़दीर बदल गयी..

वो कौनसा जाम था..
जो नर्म किरचों से झांकता है..

रतजगे नशीले-से..
बेसुध साँसें..
ख़ुमारी अपने पंख पसारती..
उतर आई है..
बहुत गहरी..

ज़रा..
नज़र उतार दो..
इन सूखे होठों की..
हाँ..
तुम्हारे सुर्ख दस्तावेज़ों से..
लपेट दो न..
बोसों के गिलाफ़..

अंतस की तस्में..
हरी हो चलीं..
औ' मैं तलाशता..
निषेद्ध अलाव.!!"

...

--कितने कच्चे रंग पकते..ज़ालिम #जां की गली..

Thursday, October 22, 2015

'पैगाम..'





...

"मेरे स्वर को नाम दे दो..
आज फ़िर मुझे वो काम दे दो..

सजाऊँ जिस्म को तेरे..
पोर से अपने..
जवानी पे रवानी के..
किस्से जाम दे दो..

लिखूँ जो हक़ीक़त..
मंज़ूर नहीं..
अपने 'सीक्रेट इमोशंज़' का..
कोई पैगाम दे दो..

उठते सवाल..
बिखरता उम्मीदे-ज़खीरा..
क़त्ल करने को मुझे..
खंज़र कोई इनाम दे दो..

आओ लौट के..
मेरे जानिब..
साँसों को मोहब्बत..
रूह को आराम दे दो..!!"

...

--शुक्र का शुक्र..<3

'संगदिल बहर..'





...

"इंतज़ार ख़्वाब करने लगे हैं..और कितना तड़पेंगे.. इतने साल चुप-चाप बैठे रहे सबसे नीचे वाले दराज़ में..हाँ-हाँ दिल के सबसे नीचे वाले दराज़ में.. अब तो उनको भी अपने ख़्वाब पूरे कर लेने दो..!!!!

'जा जी ले अपनी ज़िन्दगी' टाइप्स... काश, इतना आसां होता न ये सब.. तो यूँ ही नहीं बिखरते हर शाम दहलीज़ पर मेरे अल्फ़ाज़ और उनकी संगदिल बहर..!!"

...

--ज़िन्दगी की शायरी..स्याही की ज़बानी..

'लकीरें..'




...

"कश्ती के सैलाब थे..
या..
मोहब्बत के ज़ख्म..

फ़क़त..
रंगों की तहज़ीब..
औ'..
लकीरें बह गयीं..!!"

...

'नक्षत्र..'





...

"नक्षत्र..तारे..ग्रह..
रहना मेरे खिलाफ़..

तेरी मुहब्बत में..
पा लूँगा लिहाफ़..!!"

...

'राग..'




...

"आजकल तुम्हारे ही लफ्ज़ मेरी साँसों में मचलते हैं..
जाने कौनसा राग छेड़ा उस स्याह रात..
सदियों का रिश्ता पक्का हो चला..!!"

...

Thursday, September 3, 2015

'रात सुहानी है..'






...

"हारने की आदत पुरानी है..
अपनी इतनी ही कहानी है..

कौन समझेगा फ़लसफ़ा..छाई..
दुनियादारी वाली रवानी है..

क़त्ल..वस्ल..उल्फ़त..ज़ख्म..
बीत गयी इनमें ही जवानी है..

रक़ीब ग़मज़दा इन दिनों..
हबीब ने आज बंदूक तानी है..

बहर से बाहर बह रहा..वाईज़..
मेरी हक़ीक़त किसने जानी है..

हँस लो..मार ठहाके ज़रा..तुम..
न आनी..फ़िर रात सुहानी है..!!"

...

--ज़ख्म कैसे-कैसे..

Saturday, August 29, 2015

'सफ़लता-मंत्र..'






...

"कम होने लगे..
शब्दों से संबंध..

तंज़ होने लगे..
जीवन के बंध..

चलते रहना..
रस्ते हों चंद..

पुकारे मंज़िल..
ख़ुमारी मंद-मंद..

गतिशीलता..निरंतरता..
सफ़लता-मंत्र..!!"

...

--चलते रहना..ए-पथिक..

Wednesday, August 19, 2015

'चाहत के दरवाजे..'






...

"चुप रहूँ तो बोलते हैं..
चाहत के दरवाजे..
आ जाओ..
के रात गहराने को है..

नहीं बाँधेंगे..
मोह के धागे..
लपेट लेंगे..
सीधे बाँहों में..

न होगी शरारत..
बस थोड़ी हरारत..

जल्द ही..
बंद कर आओगे..
ये चाहत के दरवाजे..

इस दफ़ा..
रस्ता अंदर वाला होगा..
नशा तुम पे सुनहला होगा..

चल ओढें..
जिस्मों के छाते..
बंद करें..
चाहत के दरवाजे..!!"

...

--रूमानियत के राग..<3 <3

Sunday, August 16, 2015

'जुदाई वाला लव-ऑल..'



...

"आज चलने लगें हैं..
मन के रिंग्स..
कुछ स्क्वायर हैं..
कुछ रैक्टैंगल..

दर्द में डूबे एक्स्ट्रा शॉट्स..
ख़्वाहिश वाला लॉन्ग-ऑन..

फ़रेबी सिली पॉइंट..
बेवफ़ा गली..

जुदाई वाला लव-ऑल..
हरारत वाला परफैक्ट टैन..

इस स्पोर्ट्स अकैडमी की बाउंड्री..
बुला रही..फ़िर हमें..

चले आओ..
के नल्लीफाय करने हैं..
ज़ालिम ओप्पोनैंटस..!!"

...

--स्पोर्ट्स आर गुड फॉर दिल वाली हैल्थ..

Friday, August 7, 2015

'मन की पाबंदियाँ..'








...

"आज..
मन की अपनी पाबंदियाँ हैं..
रूह की अपनी तड़प..
देह की अपनी धरा..
और..
दोस्ती की अपनी ज़रूरत..

मैं अब भी वहाँ हूँ..
बहती थीं..
प्रगाढ़ता की नदियाँ जहाँ..

समय के वेग ने..
भेजा होगा..
दिशा बदलने का नारा..

चप्पू ने भी तुरंत किया होगा..
सहमति का इशारा..

ज़िंदगी की मार से..
कविता लिखने लगी हूँ..

बारिश में तलाशने लगी हूँ..
मोती और पन्ने..!!"

...

--मोह का मरहम..जुदाई की रात..

Wednesday, August 5, 2015

'सींचते रहना..'







‪#‎जां‬

...

"जाने आपसे..
क्यूँ..
कब..
कहाँ..
कैसे..
जुड़ गयी..

उस बैड पैच के कारण..
या..
लेट नाईट..
स्मूथ कम्फर्टज़ के कारण..

उस टाईट हग़ के कारण..
या..
दिल की धड़कनों को..
ज़िंदा करने के कारण..
मेरे इंस्पिरेशन तुम ही हो..
चाहे..

शब्दों के खेल में..
या..
वाकिंग ट्रैक की रेल में..

आई लव यू द मोस्ट..
जानते हैं..
आप..

मुझे मुझसे बेहतर..
जानते हैं..
आप..

मेरी हर गलती पे..
डाँटते हैं..
आप..

फ़िर भी..
हर शब..
सुलाते हैं..

आप..
जाने कौनसा रूप..
कब प्यार करता है..
कब सर सहलाता है..
कब हिम्मत बंधाता है..
कब लक्ष्य दिखाता है..
कब भर-भर रुलाता है..
कब दर्द अपना छुपाता है..

मुझे मोहब्बत है..
बेइंतिहां..
न कहूँ कभी..

समझ लेना..
सुनना चाहती हूँ..
तुम्हें..
तुम्हारी बाँहों मे..

सींचते रहना..
रूह..
गोलार्द्ध..
और..
.......!!"


...
--‪#‎अदाएँ‬ प्रेम वाली..

Tuesday, August 4, 2015

'मुट्ठी भर ओख..'






...

"प्रसंग मोहब्बत का था..
या
दर्द का..

रिश्ता नासूर का था..
या..
रंग का..

नूर जिस्म का था..
या..
आसमान का..

मैं तलाशता..
मुट्ठी भर ओख..
और..
बूँदों से लबरेज़ कसीदे..!!"

...

--बस यूँ ही..

Monday, August 3, 2015

'शुक्रिया..'





...


"रेतीले समंदर..
लाइवली किनारे..

एक लॉन्ग वाक..
एक स्ट्रांग बांड..

ख़ामोशी के फेरे..
लेते रहे हम..

धड़क-धड़क..
एंडलैस गूज़बम्ज़..

कभी नज़रें मिलाना..
कभी शरमा जाना..

बिन कहे..
सब पढ़ आना..

बिन सुने..
सब जान जाना..

बारिश की बूँदों से..
हौले-हौले मुस्कुराना..

होंठों का यूँ ही..
हलके-से कंपकंपाना..

मेरी रूह को..
लैवल कर जाना..

बिन क़ुओएशचन..
मेरे क़ुओएशचनज़..
अपनाते जाना..

कौन जानेगा..
तुम से बेहतर..

इस केओस में..
मुझे ढूँढ लाना..

थैंक्स..इस साइलैंट जर्नी पर..
मेरा साथ देने के लिए..

मुझे ख़ुद से इंट्रोड्यूज़..
करवाने के लिए..

मुझे..
तुमसे मिलवाने के लिए..

लव यू..!!"

...

--शुक्रिया..

Friday, July 31, 2015

'रंग बारिश के..'





...

"कुछ शौक़ बड़े ज़ालिम होते हैं..

जैसे.. ‪#‎जां‬ से बेपनाह बेंतिहां मोहब्बत..
जैसे..तपती रूह में विरह की आग तापना..
जैसे..हारी हुई बाज़ी के लिए..ख़ुद का दाँव लगाना..
जैसे..बारिश में यादों को हवा लगाना..
जैसे..रजनीगंधा-फूलों से महकता FB-गलियारा..
जैसे..प्रस्फुटित प्रेम और अविरल विलाप..
जैसे..वहशत का जाम और शा'यरा बदनाम..!!"

...

--रंग बारिश के..शूल से सॉफ्ट एंड सटल..

'लक्ष्य की शान..'





...


"आज चलता हूँ..
जब थक-हार के बैठने के बाद..

एक स्फूर्ति है..
जो देती है साथ..

पग-पग निहारता रहूँ..
लक्ष्य की शान..

रग-रग संवारता रहूँ..
जीवन का ज्ञान..!!"

...

'रुकसत की शहनाई..'




...

"कहाँ लिख पाता हूँ..
हाले-दिल अब..
गहराने लगे हो..
साँसों में जब..

ख़ास हो गए तुम..
दुनिया की तलब..
मैं कहाँ कह सकूँगा..
मोहब्बत के शफ़क़..

गिरफ़्त कस..रूह..
बंधे जाने..कब..
बोसे का जादू..
महके किस शब..

फ़साने दरमियान..
धड़कन-ए-दिल सबब..
हारा हर बाज़ी..
हसरतें गयीं दब..!!"

...


--ग़मे-जुदाई..रुकसत की शहनाई..फ़ुरक़त के शज़र..

Saturday, July 18, 2015

'क्या-क्या अदा लिखूँ..'






‪#‎जां‬


...

"आज बहुत दिनों बाद सोचा..कुछ लिख भेजूँ..

चाँद लिखूँ..ख्व़ाब लिखूँ..
तारें लिखूँ..रूआब लिखूँ..

कहो न..जां..

बेताबी लिखूँ..हरारत लिखूँ..
जुम्बिश लिखूँ..शरारत लिखूँ..

सुनो न..जां..

गिरफ़्त लिखूँ..अलाव लिखूँ..
सिलवटें लिखूँ..सैलाब लिखूँ..

रुको न..जां..

फ़साना लिखूँ..साज़िश लिखूँ..
बंदिश लिखूँ..नवाज़िश लिखूँ..

देखो न..जां..

क़ायदा लिखूँ..इबादत लिखूँ..
तसव्वुफ़ लिखूँ..नज़ाकत लिखूँ..

तुम ही बताओ न..जां..
अंजुमन में..शिद्दत से..
क्या-क्या अदा लिखूँ..!!"

...

--इशारा-ए-इश्क़..

Thursday, July 16, 2015

'अ टोस्ट टू आवर लव..'






...

"ग़म की बिसात थी..
प्यादे आँसू से लबरेज़..

घोड़ा ढाई मुट्ठी नमक लाया..
ऊँट टेड़ी चाल से ख़ंज़र घोंप गया..

बेचारा हाथी..मजबूर था..
सीधे-सीधे लफ़्ज़ों से क़त्ल करता गया..

वज़ीर को तो महफूज़ रखना था..
सो..आनन-फ़ानन में..
रिश्तों का समंदर डुबो आया..

रानी..टूटी-बिखरी..
गुज़ारिश करती रही..
अपने मसीहा को पुकारती..
उसे पाने की चाह..
हर मकसद से ऊपर..

आसमां से तारे चटकते हैं..

आज भी..
घुलती रही..साँसों में..
प्लैनेट्स की पोजीशन चेंज वाली पेंटिंग..
जलतरंग पे बजता..रूह चीरने वाला राग..

मैं मदहोश..
अपने रेशों से सहलाता..
इस ६४ बाय ६४ के आवारा खाने..

पाट सकते..शायद..
ये ग़म के पुल..
लहुलुहान परछाई..

रूह के पन्ने..
ज़ालिम हैं बहुत..!!"

...

--अ टोस्ट टू आवर लव..जां..

Friday, July 10, 2015

'मोतीचूर लड्डू..'






‪#‎जां‬

...

"बातों-बातों में हुआ ऐसा..

सब कुछ #जां का होता गया..
और..
मैं हारता गया..

हो उदास..पूछा जो उनसे..
'मेरा क्या..गर ये सब आपका है तो'..

ज़ालिम #जां का..
ज़वाब कुछ यूँ आया..
'मैं'..!!

होने लगे ऐसा जब..
समझना तब-तब..

साँसों से पक..
गिरफ़्त में ढक..
आँखों से चख़..

मोहब्बत की चाशनी..
और रसीली हो गयी है..!!"

...

--मोतीचूर लड्डू..चाशनी वाले..

Wednesday, July 1, 2015

'ज़ीरो-वन..'




...


"जीरो..वन का खेल है सारा..
जैसे उगता सूरज..दिखता न्यारा..

जीरो के आगे जब लगता वन..
देखो..बन जाता वो सबका प्यारा..

वन के बाद जब लगते हैं ज़ीरो..
दुनिया चाहे..बन जाए ये हमारा..

खेल खेलते दोनों मिल कर..
आगे इनके..हर कोई हारा..

वन बोला, 'चल साथ चलेंगे'..
ज़ीरो ने झट से ऑफर स्वीकारा..

दोस्ती एकदम पक्की वाली..जैसे..
मैं-दीदी..माँ की आँखों का तारा..!!"


...

Sunday, June 28, 2015

'मेरे जौहरी..'





...

"न आऊँ यहाँ..तो बेचैन हो जाते हैं..
जाने कितने पीर-बाबाओं के चक्कर लगाते हैं..
कितनी ही बार मोबाइल चैक करते हैं..और जो हैंग हो जाये अपनी 'रैम' के कारण..तो बस..'रीस्टार्ट सैशन'..

मन की बारिश में तन सूखा..और जिस्म नीलाम होने को उतारू.. मेरे जौहरी हो तुम..याद है न..??"

...

--शुक्रिया #जां.. बेहिसाब रतजगे और एक टाइट हग.. <3 <3

Friday, June 19, 2015

'गले..'





...

"हम कैसे करें भरोसा..
कभी गले मिलें तो जानें..

साँसों से पूछेंगे..
शराफ़त का मीटर..
कितना है चलता..

सिर्फ़ राईट-लैफ्ट..
या..
दम भी है घुटता..!!"

...

--थोड़ी-सी शैतानी.. ;)

'अनछुआ तिलिस्म..'





...

"तेरी यादों की कशिश..
वो अनछुआ तिलिस्म..
मेरी नाराज़गी..
गिरफ़्त तरसती बाँहें..

आना ही था..
इस सफ़ेद चादर को..

दरमियाँ जो..
अलाव हैं..
अधजले..
अधूरे हैं..
रतजगे..
अधपकी हैं..
ख़्वाहिशें..

तुम आओ तो..
दिल खिले..
मौसम ढले..
इश्क़ पले..!!"

...

Wednesday, June 17, 2015

'रूह की शिद्दत..'





‪#‎जां‬

...

"मेरे प्रिय..मेरे बहुत प्रिय..मेरे सबसे प्रिय..

वक़्त कितना ही मज़बूत जाल बिछाए..आपका और मेरा सामीप्य गहरा रहेगा..
दुश्वारियां बेशुमार आयें दरमियाँ..आपका और मेरा गठबंधन महकता रहेगा..
बैरी हो ज़माना चाहे जितना..आपका और मेरा प्रेम अनिवार्य रहेगा..!!

आप लिखते रहिएगा..मैं पढ़ती रहूँगी..
आप दिल धड़काते रहियेगा..मैं चलती रहूँगी..
आप थामे रहिएगा..मैं बहती चलूँगी..!!

शर्तों से प्यार नहीं..प्यार से शर्त है..

चट्टान-सा अटल है..लक्ष्य मेरा..
मखमल-सा कोमल है..राग मेरा..
गिरफ़्त-सा विराट है..ह्रदय मेरा..!!

जाने कितनी रचनाओं का समागम है..इस एक जज़्बात में..

आप मुझे प्रिय हैं..बहुत प्रिय..सबसे प्रिय..

चलिए न..इस दफ़ा अनुबंध में सिमट जाएँ..
मैं लिखूँ पत्र पोर से..लिखाई आईना हो जाए..!!

रूह की शिद्दत..
फ़र्ज़ का क़ायदा..
मोहब्बत का जाम..
ज़िंदाबाद..ज़िंदाबाद..!!"

...

--मेरी तन्हाई के सौदागर..बोसा स्वीकारें..

Sunday, June 14, 2015

'माँ..'



...



"संदर्भ था..माँ का..
साज़ था..माँ का..

अंतर्मन-रेखाओं पे..
पट्टा था..माँ का..

प्रतीक्षारत पौधे को..
नाज़ था..माँ का..

कोमल-डोर सींचने में..
दाम था..माँ का..

इन्द्रधनुषी छतरी को..
भरोसा था..माँ का..

चरित्र-निर्माण में..
ताप था..माँ का..

जटिल जीवन-अंक में..
सामीप्य था..माँ का..

काल-चक्र छाँव में..
स्नेह था..माँ का..!!"

...

'अलाव का कारोबार..'




‪#‎जां‬

...

"तुम आजकल हमारे पर्सनल टाइम पर मिलते ही नहीं.. देखो ज़रा..सबसे छुप के सोने का ड्रामा करता हूँ..दिल की धड़कनों को निगाहों में दबाये रखता हूँ..

तुम जानते हो न..मेरे दिल का कनेक्शन आँखों से है..तुम जब-जब मिस करते हो न..मिलना हमारा..ये ज़ालिम आँखें जाने तकिये के कितने रेशों को कलरफुल और नमकीं बना देतीं हैं..!!

और तो और..आजकल उस वाईब्रेट ऑप्शन को हटा रिंगटोन वाला ऑप्शन कर दिया है..!!

पक्का..आज से तुम्हारा एक भी कॉल मिस नहीं करूँगा.. तुम आओ तो..LHS कबसे तड़प रहा है..हाँ..हाँ..तुम्हारा LHS..wink emoticon

अच्छा बाबा..नो मोर जोक्स..!!

सुनो न..पोर तुम्हें महसूस करना चाहते हैं..अलाव को भी अपना कारोबार चलाना है..

कुछ तो रहम करो..!!"

...

'राज़ दे दो..'




...

"तस्वीर को साज़ दे दो..
ज़ुल्फ़ों को आगाज़ दे दो..१..

जो जहाँ है..वो वहाँ रहे..
वाईज़ को राज़ दे दो..२..

लिखता नहीं..शामो-सहर..
लफ़्ज़ों को ताज दे दो..3..

तारे..महताब..मचल रहे..
चाँदनी को लाज दे दो..४..

मुमकिन है..मोहब्बत अपनी..
साँसों को काज़ दे दो..५..!!"

...

--वीकेंड जाने का ग़म..

Tuesday, June 9, 2015

'डेटा-कंज़म्शन..'





#‎जां‬
...

"12 MB मुझसे ज्यादा प्यारे हो रहे हैं..
यूसेज कैटेगराईज़..हमारे-तुम्हारे हो रहे हैं..

डेटा कार्ड का मोह कैसा..देखिये जानिब..
मैसेजेस सैंटी-वाले भी गवारे हो रहे हैं..

इंतिहान-ए-ज़ालिमगिरि..#जां से सीखें..
मोहब्बत वाले सौदे..सस्ते सारे हो रहे हैं..

क़िस्सागोई कहाँ भेजूँ..तू ही बता..ज़रा..
आजकल रोमैंटिक अल्फ़ाज़ किनारे हो रहे हैं..

बही-खाता निकलता 'डेटा-कंज़म्शन'..हर घंटे..
टेलिकॉम कंपनियों के प्लान्स..खारे हो रहे हैं..!!"

...

--इंटरनेट डेटा के मियाद वाले ऑप्शनज़..और उनसे उपजी नेशनल दर्द की कहानी.

Tuesday, June 2, 2015

'प्रेम के बेसुध पैमाने..'



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"तेरे लफ़्ज़ों का जाम..
पीता हूँ..
हर रोज़..

कभी तिलिस्म..
कभी रूह..
कभी सूफ़ी..
कभी गुफ़्तगू..

नज़र के फेरे..
जिस्मों के डेरे..
नोट्स पुराने..
थॉट्स दीवाने..

ब्लैक कॉफ़ी..
ग़ालिब..इंशा..
जौक..नुसरत..
औ'..
नॉन-स्टॉप म्यूजिक..

रंगरेज़ मेरे..
रंग दे..
मेरी पुअर वोकैब..
स्याह रातें..
औ'..
प्रेम के बेसुध पैमाने..!!"

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--लव यू..‪#‎सनम‬

Sunday, May 31, 2015

'नमकीं समंदर..'






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"आसूँ जो बहते हैं..नज़र नहीं पाते..
मेरे घर सैलानी परिंदे नहीं आते..१..

आया करो..फ़क़त बाँध गमे-गठरी..
सुनो..दिन गिरफ़्त के रोज़ नहीं आते..२..

जानता हूँ..साज़िशें औ' क़वायद उनकी..
नक़ाब पे उल्फ़त वाले रंग नहीं आते..३..

गुलज़ार रहे ताना-बाना..सुर-ताल के..
क़द्रदान..नमकीं समंदर में नहीं आते..४..!!!"

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--रॉ स्टफ..

Wednesday, May 13, 2015

'प्योर शॉट्स..प्यारे थॉट्स..'




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"ये तेरे मेरे बीच का..
साइलैंस..
क़हर दोनों पे ढाता है..

जानती हूँ..
सोते नहीं हो..
रातों को..
मेरे बिन..

ख़ुशबू..गिरफ़्त..
जाने कैसा ये नाता है..

सदियों को जीया..
जिस-जिस पल..
दर्द अपना..
हर शब सुनाता है..

पैच-अप की गुंजाइश रखना..
लिखा मेरे पास..
नोक-झोंक का खाता है..

पक्के रंग..मोहब्बत वाले..
रंगरेज़ चढ़ा गया जिस्म पे..
फबे जिसपे तेरी छुअन..
रूह का कपड़ा..ऐसा ही आता है..!!"

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--रॉ..प्योर रॉ..प्योर शॉट्स..प्यारे थॉट्स..

Tuesday, May 5, 2015

'तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..'




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"यूँ धीरे-धीरे जो पकती है..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..

मैं चावल-सा कड़क..
तुम दूध-से कोमल..

तुम चीनी-से मीठे..
मैं केसर-सा गर्म..

तुम बादाम-से गुणकारी..
मैं पिस्ता-सा नटखट..

तुम किशमिश-से स्वादी..
मैं मलाई-सा जिद्दी..

रंग चढ़ा ऐसा..
लबरेज़ हो गया हूँ..

केसरिया गाते-गाते..
केसरिया हो गया हूँ..

आओ न..
चख़तें हैं..
साथ बैठ..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..!!"

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--यूँ कि ‪#‎जां‬ की पसंदीदा है..खीर..

Thursday, April 30, 2015

'पुर्ज़ों की स्याही..'




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"इक पता तलाशता हूँ..अपनी ज़मीं से दूर..
इक आह संभालता हूँ..अपने जिस्म से दूर..
इक संदर्भ खंगालता हूँ..अपनी जिरह से दूर..

पुर्ज़ों की स्याही..विस्मित-सी..करे अनंत सवाल..!!"

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'तेरे पीले..'



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"तेरे इस पीले से बहते हैं..
मेरे मन के हरे सावन..

इस अंतहीन यात्रा पर..
साथ चलें..? थाम दामन..

तुम ह्रदय-ताल पर बसे..
हर दिन हुआ..बस पावन..

कस लो..स्मृतियों में हमें..
मिलते नहीं सबको..यूँ जानम..

#जां..मिलिए न..बहुत हुआ..
दूरियों का ये मनभावन..!!"

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--आपकी याद में..कुछ यूँ बह चले लफ्ज़..

Wednesday, April 29, 2015

'इज़ाज़त..'




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"जां..

तेरी ख़ुशी की लकीर..साँसों से लिख दूँ.. इज़ाज़त है..??
तेरी आँखों की कशिश..बोसे से चख़ दूँ..इज़ाज़त है..??
तेरी रूह की तपिश..पोर से मढ़ दूँ..इज़ाज़त है..??

बोलो न..‪#‎जां‬..
तेरी बाँहों में..इबादत एक और रच दूँ..इज़ाज़त है..??"

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--ज़वाब के इंतज़ार में..

Saturday, April 25, 2015

'तिलिस्म छुअन का..'



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"तूने विश्वास मुझमें जगाया है..
क्या सच में..मुझमें कुछ पाया है..

मैं समझता रहा..खुद को आवारा..
तिलिस्म छुअन का..संग काया है..

मिटा देते हैं..चलो..अभी..जमी हुई..
जिस्मी-तिश्नगी..आँखों में जो माया है..

दूरी के तलाशो न बहाने..ए-‪#‎जां‬..
ये ब्रांड..फ़क़त..हमने ही बनाया है..!!"

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--नाराज़गी वाला प्यार..रात्रि के दूसरे प्रहर..

Thursday, April 23, 2015

'मेरी पुस्तक..'


#विश्व पुस्तक दिवस..

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"मेरी पुस्तक तुम से प्रारम्भ हो..तुम पर ही समाप्त होगी.. जानते हो तुम भी..

मेरी अंतरात्मा की गतिशीलता तुम्हारे प्रत्येक पृष्ठ पर अंकित है..तनिक पृष्ठ संख्या ११६ देखो..विरह की रात्रि का विलाप पुकार कर रहा है..

पृष्ठ ८ पर जड़ है..मेरा विलय..

पृष्ठ संख्या ११ सुना रही है..मेरे पृथक-पृथक होने का मंगल-गान..

पृष्ठ संख्या ३ पर चिन्हित तुम्हारा प्रथम स्पर्श..भोज-पत्र बन अमर हो चला है..

पृष्ठ संख्या ७ का स्वर उल्लासित है..सौम्यता की परिधि से..

और.. पृष्ठ २०१ हमारा संयुक्त परिश्रम है..जिसका लाभांश पल-प्रतिपल अपना मूल्य बढ़ाता जाता है..

पृष्ठ संख्या ३१ की रश्मि..चाँदनी-सी महक रही है..

आओ..प्रस्तावना के पृष्ठ पर अगाध प्रेम-गाथा की अमिट छाप लगा जाएँ..!!"

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--#जां..मेरे जीवन-उपन्यास के एकमात्र केंद्र-बिंदु..

Sunday, April 19, 2015

'जागीर..'



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"इक आखिरी काश..इस रात का..
इक आखिरी जाम..इस बात का..

मोहब्बत के जिस्म थे..
इबादत की रूह..
छिला जो हाथ..
कोशिका मेरी थी..

मैं लिखता हूँ दर्द..
ख़फ़ा वो हो जाते हैं..
मैं कहता हूँ मर्ज़..
जफ़ा वो कर जाते हैं..

तुम बेबस हो..
मैं नहीं..
तुम शामिल हो..
मैं नहीं..

तह-दर-तह जमाता हूँ..
ज़िन्दगी के सफ़हों की..
सुनी क्या सरसराहट..
दिल धड़कने की..

बेच सकोगे जागीर अपनी..
भरी है हर कोने में..
यादें अपनी..

दुआ करूँगा..
कामयाबी की..
चादर ओढ़ना..
*आबादी की..!!"

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--तनहा सफ़र का एक पड़ाव..

*आबादी = आबाद..

Thursday, April 9, 2015

'प्यार है..जानिब..'



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"कितनी आसानी से..
इल्ज़ाम दे गया..

बेइन्तिहाँ मोहब्बत थी..
ज़फ़ा दे गया..

सौदागर-ए-वहशत हूँ..
वीरानी का ओवरलोडेड स्टॉक..
मुझ पर ही लुटाता है..

सुट्टा जिंदगी का..
दिलबर के साथ..
राख़ मेरी ऐश-ट्रे में भर जाता है..

लेट नाईट टॉक्स उनकी..
हैंगओवर का फ्रसटेशन..
ब्रेकफास्ट में मुझे दे जाता है..

मैसेज सारे उनके नाम..
मेरा पत्र बरसों एड्रेस को तरस जाता है..

रूह के रेशे में लिपटे तोहफ़े मेरे..
क्रेडिट तो..यार के खाते में जाता है..

प्यार है..जानिब..
आख़िरी कश तक जलाएगा..

फाल्ट इज़ यौर्ज़..बेबी..
तू क्यूँ अपनी 'अवेलेबिलिटी' दिखा जाता है..

चिल्लैकस स्वीटी..
'दिस इज़ व्हाट लव इज़ आल अबाउट'..!!"

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--गुरु का ज्ञान..wink emoticon

Wednesday, April 8, 2015

'कोमल स्पर्श..'



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"क़तार लम्बी है..
और..
शुभचिंतक भी बहुत..

मेरी अर्ज़ी..
आपकी स्वाँस-नली में..
लिपटी रखी है..

स्वीकार कर लीजिये न..
आज रात्रि के दूसरे प्रहर का..
कोमल स्पर्श..!!"

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Monday, April 6, 2015

'खंज़र उठाओ..'

#जां



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"तुम क़त्ल लिखती हो..
तुम नज़्म लिखती हो..
जाने कैसे..
तिलिस्म गढ़ती हो..

तुम आह भरती हो..
तुम चाह भरती हो..
जाने कैसे..
साँस पढ़ती हो..

तुम दर्द चखती हो..
तुम रूह चखती हो..
जाने कैसे..
वीरानी चढ़ती हो..

लबरेज़ हूँ..
खंज़र उठाओ..
ख़ानाबदोश हूँ..
गिरफ़्त बढ़ाओ..!!"

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--जां..मेरी जां..<3

Saturday, March 7, 2015

'मुश्किल..'





‪#‎जां‬

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"तुम्हें ढूँढना मुश्किल.. = तुम्हें पाना मुश्किल..

#जां आओ न..ये LHS वाली मुश्किल को RHS वाली मुश्किल से कैंसल कर दो न..!!"

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--इंतज़ार में शब..<3 <3

Sunday, March 1, 2015

'वीकेंड वाला नशा..'



#जां

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"तुम्हें रख लेना चाहता हूँ..
साथ अपने हर पल..

रूह के मुशायरे में..
ब्रेन-स्टोर्मिंग सैशंस में..
रोलर-कोस्टर राइड्स में..
थ्रिल्लिंग लॉन्ग ड्राइव्स में..

पौधे की गुड़ाई में..
गिटार क्लासेज में..
थिएटर वर्कशॉपस में..
लाउन्ज रूफटॉप्स में..

मोबाइल पैटर्न में..
जीमेल पासवर्ड में..
वौच लॉक में..
इवनिंग वौक में..

चॉकलेट शेक में..
थंब रिंग में..
वनिला कोन में..
रात-वाले फ़ोन में..

आओ न..
#जां..
तुम्हें रख लेना चाहता हूँ..
साथ अपने हर पल..!!"

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--वीकेंड वाला नशा..<3

Wednesday, February 25, 2015

'खैरियत कैफ़ियत वाली..'






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"रंगों के अपने रंग दिखने लगे..
मुहब्बत हमसे रक़ीब करने लगे..१..

चाहत उल्फ़त को थी..थोड़ी ज्यादा..
जिस्म पे..रूह के निशां मंजने लगे..२..

खैरियत कैफ़ियत वाली..जुदा रहे..
नक़ाब चेहरे पे..हबीबों के लगने लगे..३..

कम लिखता हूँ..हाले-दिल..बारहां..
आमद क़द्रदानों की..कूचे सजने लगे..४..!!"

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--नशा-ए-वीकेंड..

Saturday, February 21, 2015

'वीकेंड-सेलिब्रेशन..'




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"साँसे बेक़ाबू-सी..
रूह आउट ऑफ़ आर्डर..

बिखरे दस्तावेज़..
सिमटे नोट्स..

लेज़ी वाच..
मनमौजी ग्लास्सेज़..

सबका अपना-अपना मिज़ाज़ है..
वैसे..
वीकेंड का मंज़र..
बहुत प्राईसी होता है..

नीट ही करता और करवाता है..
ज़ुल्म सारे..!!"

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--वीकेंड-सेलिब्रेशन बिगिंस..grin emoticon

Sunday, February 15, 2015

'नक़ाब..'




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"झूठ-सच की दौड़ में भागता हूँ..रोज़ सुबह..
छल-कपट के पहाड़े गुनता हूँ..दिन भर..

अहंकार के टारगेट्स से दमकता हूँ..शामो-सहर..!!"

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--नक़ाब पूरे वीक्स के.. साथ रखता हूँ..