Friday, September 26, 2014

'लॉन्ग लव लैटर्ज़..'




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"सुनो जां..तुम्हें उस अज़ीम मुहब्बत का वास्ता.. उस मुकद्दस मुक़ाम की कसम.. उन सलाख़ों की ज़ंजीर की तड़प देखो.. चाँद-सितारों का दामन पिघलने लगा है..


अब भेज भी दो न..मेरे वो लॉन्ग लव लैटर्ज़..!;-)!"

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--शुक्र का शुक्रिया..<3

Monday, September 22, 2014

'हर्फ़..'





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"तेरी इक छुअन से..
खिल उठी..
उंगलियाँ मेरी..

बरबस..
हर्फ़ महकने लगे हैं..!!"

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'स्पर्श..'






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"सुना है..
तुम्हारा कंठ बहुत मधुर है..
रूई के फाये से कोमल स्वर..
मिश्री-सा आलाप..

स्पर्श स्नेह से परिपूर्ण हैं..
उंगलियाँ थपथपाती हैं..
मस्तिष्क में उलझे गरिष्ठ प्रश्न..

सामीप्य चाहता हूँ..
विषम परिस्तिथि से निजात भी..
और..सहज सुखद वायुमंडल..

क्या संभव है..
प्रवेश मेरा..
आज आपके द्वार..!!"

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--वीकेंड जाने का मलाल..जाने क्या-क्या लिखवा गया..

Monday, September 15, 2014

'घाट-घाट..'




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"प्रिये..
घाट-घाट..
घटा दो..
विकार-परिपूर्ण..
जलस्त्रोत्र मेरा..!!"


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Sunday, September 14, 2014

'रात्रि का दूसरा प्रहर..'







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"रात्रि का दूसरा प्रहर..जो हम दोनों का सबसे प्रिय समय है..उस का बहिष्कार अंतर्मन को ग्लानि से भर देता है.. जैसे..कमल की कोमलता और सौंदर्य का सन्मुख होते हुए भी उपयोग न कर पाना..!!

अनुरोध करूँ तो सहर्ष स्वीकार कर लेंगे न..प्रिय.. संदेश का माध्यम तो आपको ज्ञात ही है..!!"


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--प्रेम पत्र का एक टुकड़ा..<3

Friday, September 5, 2014

'गुरुजन..'



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"पहला वर्ण..
पहला अक्षर..
पहला वाक्य..

माँ..
गुरुजन..
मित्रगण..
समस्त-जन..

कृतज्ञता..
सहर्ष..
करें..
स्वीकार..

अहोभाग्य..
सानिध्य-स्नेह..
पाया..
अपार..!!"

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--समृद्ध रहे आँगन आप सबका..