Sunday, June 29, 2014

'उत्सव..'







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"स्नेह की गाढ़ी चाशनी में पका..
मतभेद की सिगड़ी पर..

अपनत्व की मरहम..
और प्रेम की बौछार..

विश्वास का अनंत सागर..
आकाशगंगा-सा घनत्व..

सूत-सा आरामदायी..
फौलाद-सा निष्ठावान..

तुम्हारी मित्रता का..
ये लाल धागा..
मेरी कलाई को संवारता रहेगा..
हर उत्सव में..!!"

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--मेरे घनिष्ठ मित्र..तुम मेरे जीवन का अभिन्न अंग हो.. <3 <3

'झिलमिलाते सितारे..'






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"बादलों की ओट में झिलमिलाते सितारे..
रात्रि का दूसरा प्रहर..

हाथों में हाथ..
दरिया किनारा..

तेरी छुअन का नशा..
रोम-रोम खिलता जिस्म..

मिट्टी का लेप..
बोसे का काफ़िला..

गिरफ़्त साँसों की..
सुकूं आहों का..

बहुत ज़ालिम हैं..आप..!!"

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--वीकेंड वाली रूह..

Thursday, June 26, 2014

'प्यार..'






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"प्यार..
लफ्ज़ ख़ूबसूरत है..

बहता..बढ़ता..
दर्द की चट्टानों से लड़ता-झगड़ता..
इक तेरी छुअन को तरसता..
पग-पग महकता..
दरिया-सा बहकता..
चाशनी की तार-सा पकता..
विरह की रात में सुलगता..
उल्फ़त को ओढ़ता..
देह को रूह से जोड़ता..

मुझे तुम्हारी गिरफ़्त में बाँधता..
पोर की गर्माहट मापता..
धड़कनों को जाँचता..

और..
और..

तुम कहते हो..
मैं नहीं जानता..
११६ चाँद की रातें..!!!"

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--वीकेंड का ख़ुमार..चढ़ रहा..

'जन्नत..'






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"यूँ ज़ाया न करना..पानी की रंगत..
तुमसे ही महकती है..मेरी जन्नत..!!"

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Sunday, June 22, 2014

'फ्री-किक शॉट..'








#जां

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"तलाशती है..
मेरे हिस्से की धूप.. आँचल तेरा..
मेरे वज़ूद की सहर..ख़ुशबू तेरी..
मेरे जिस्म की मिट्टी..पोर तेरे..

सुना है..
तुम्हें फुटबॉल का..फ्री-किक शॉट सबसे ज्यादा लुभाता है..
जो बारहां..लेट नाईट ही आता है..

इन दिनों..
मैं..सुलग रहा हूँ..
एसी की ठंडी हवा वाली..
लम्बी रातों में..

वक़्त का अपना मूड है.. तो..वक़त भी..

वैसे..
आज किसका-किसका मैच है..??"

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Wednesday, June 18, 2014

'जाने-बहार..'




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"तुम जाओ ना..
तह हदों की तोड़ के..

जिस्म मेरा छोड़ के..
रूह मेरी मोड़ के..

अजीब थी..ये दास्तां..
न समझे..ये मेहरबां..

क्या खलिश..
क्या कशिश..
तुम बिन..
बस..तपिश..

बाँध लो..
खुद से यूँ..
रहे बस..
जुस्तजू..

मैं तड़प रहा..
हर सूं..
सिलो न..
खुशबू..

आ जाओ..
बाँहों में..
खिले हम..
राहों में..

मेरे प्यार..
ऐतबार..

मेरे यार..
जाने-बहार..!!"

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--बस यूँ ही..बह चले..हर्फ़.. :-)

Sunday, June 15, 2014

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें..



कोई अपना नहीं होते हुए भी..कितना अपना हो जाता है..
गहराई से भीतर तक जड़ें फैला जाता है..



पलाश के घरोंदे..
गुलमोहर के टीले..
यूँ ही मुस्कुराते रहे..
मौसम रंग-रंगीले..!!

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"रिश्तों को नाम देने की ज़रूरत नहीं..
ज़िन्दगी को ख्वाहिशों की ज़रूरत नहीं..
आप रहे यूँ ही आसपास जब..हर पल..
मुझे ख़ुदको समेटने की ज़रूरत नहीं..!!"

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आपके आलिंगन से महकता रहे..हर दरख्त ख़ुशी का..
पैमाना आपसे नापे..जीवन अपने अस्तित्व का.. :-)


--एक ऐसे ही प्यारे मित्र..और प्यारी तरुणा दी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें..

'रिक्त बीज..'







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"सारे प्रयत्न विफल हुए..आषाढ़ की तीज पर..
कितने तरुवर लील हुए..एक रिक्त बीज पर..!!!"

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--अपनी आग को ज़िंदा रखना..

Monday, June 2, 2014

'दोस्त तो जीवन हैं..'



#दोस्त #जिंदगी #जां

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"दोस्त तो जीवन हैं..

हिम पर बर्फ जैसा..साँसों में धुआँ भर..इरादों में फ़ौलाद डालता हुआ..
बारिश में गले लगा..साथ में अपना मन रीतता हुआ..
समंदर किनारे रेत-सा ठंडा और बेहद अपना..मेरा अपना चित्र बनाने की परमिशन देता हुआ..!!!"

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--प्रेरणास्तोत्र..एक दोस्त..जो समझे नहीं कि हम ही द बैस्ट हैं..