Sunday, July 31, 2011

'दी..'






आदरणीया 'दी' के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में..एक छोटी-सी भेंट..!!!

प्रभु जी आपको सुख, समृद्धि, संपन्नता, सद्बुद्धि और ढेर सारी खुशियाँ प्रदान करें..!! आप पर सदैव अपनी कृपादृष्टि बनायें रखें..!!!


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"खुशियाँ चमकती हैं..
आकाश में जब कभी..
फसलें लहलहाती हैं..
खलियान में जब कभी..
उषा मटमटियाती है..
सुनहरी चादर में जब कभी..
मंज़री गुनगुनाती है..
अमिया-देहरी में जब कभी..
नदिया कलकलाती है..
पाषाण-ह्रदय में जब कभी..

तुम बिखेरती हो..
काजल में रंग..
तुम मलती हो..
पुष्प में गंध..
तुम लुटाती हो..
तारे में अभिलाषा..
तुम सजाती हो..
जीवन में परिभाषा..

धन्य हुई..
पा तुमको..
कृतज्ञपूर्ण वंदन..
कर लो स्वीकार..
इस बावरी को..
'दी'..!!!"


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Saturday, July 30, 2011

'जश्न-ए-बेवफाई..'





हमारी ऑनलाइन मित्र..'दी' की एक रचना पढ़ कर..बरबस ही यह शब्द उभर आये..!!!

आपके लिये..'दी'..



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"जश्न-ए-बेवफाई..
मुश्किल ना था..
जो ना गुज़र सका..
साहिल ही था..

बैठ आगोश..
देखे होंगे सपने बेशुमार..
अपना बना ना सका..
उसे बता ना सका..

खरोंचती है..
खुदाई बहुत..

काश..
ना निभाता..
वादे की वो कसम..
ना उठाता..
राज़ से नक़ाब..

बेहतर होता..
बेवफ़ा ही कहते..
वाईज़..!!"

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Friday, July 29, 2011

'रसीली मधुशाला..'




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"डूबी है रंग में आज रुबाई..
चलो..
फिर सैर पर चलें..

बिछी थीं..
मुस्कराहट की सुगंध..
तन की अभिलाषा..
जहाँ..

उगता था दिनकर..
साथ जीवन परिभाषा..

मद्धम उजाला..
इन्द्रधनुषी जिज्ञासा..

प्रेम आदर विनम्रता..
बहती थी हर क्षण..
संस्कारों की भाषा..

खुशहाली की चादर..
करती तृप्त पिपासा..

चलो..
खोज लायें..
दूरियां पाटने वाली..
रसीली मधुशाला..!!"


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Thursday, July 28, 2011

'खज़ाना-ए-दिल..'



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"दफ़ना आया हूँ..
वजूद..
रोज़-रोज़ की दलीलों ने..
ऐवें ही..
खज़ाना-ए-दिल..
बेज़ार किया..!!"

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Wednesday, July 27, 2011

'फुरक़त की मिठास..'



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"उलझते रहे दामन में आँसू..
फुरक़त की मिठास..
साकी क्या जाने..!!!"


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'आजादी की जंजीरें..'




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"क्या कहें उनसे..
जानते हैं हाल-ए-दिल जो..

चूर हुए कुछ ख्वाब..
तो पाया उन्हें..

आजादी की जंजीरें..
बंदिशों की रिवायतें..

ना बाँध सकेंगी..
कभी..
मेरी रूह..
मेरी आरज़ू..
मेरी चाहत..
मेरी दोस्ती..!!"


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Tuesday, July 26, 2011

'सुना था..'



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"सुना था..
निशां पैरों के..
मिटते नहीं..

मंज़र रूह के..
सुलगते नहीं..

किस्से मोहब्बत के..
बदलते नहीं..

कुछ रोज़ हुए..
मेरे आँगन..
तारे टिमटिमाते नहीं..
आफ़ताब लुटाता नहीं..
अपनी हंसी..

माफ़ी की अर्जी..
लगा आई हूँ...

फ़क़त..
आज फिर..

ज़मीर अपना..
दफ़ना आई हूँ..!!!"


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Monday, July 25, 2011

'मंज़र-ए-तन्हाई..'


एक प्यारे-दोस्त का दिल अनजाने में दुखा दिया..उन के लिये..उन के नाम..एक गुज़ारिश..


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"दुखा दिल तेरा..
रोया मैं बहुत..
ना समझ सका..

रूह जो छिल गयी..
आँसू जो जम गए..

वहशत का हर लम्हा..
मंज़र-ए-तन्हाई..
आलम-ए-जुदाई..

गुनाह-ए-जुर्म..
हो सज़ा अता..

बेदखल यादों से..
बेताल्लुक जज्बातों से..!!"


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Saturday, July 23, 2011

'शहनाई-ए-मोहब्बत..'




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"बेशक यकीं ना होगा..
शहनाई-ए-मोहब्बत का..

*फ़ासील-ए-शहर-ए-रूह..
ओढ़े **बिल्लौर की चादर..
हाल-ए-दिल करती बयाँ..

काश..
पढ़ पाते..
दिल की किताब..!!!"


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*फ़ासील-ए-शहर-रूह = रूह के शहर की दीवारें..
**बिल्लौर = काँच..

Friday, July 22, 2011

'दर्ज़ा तेरा..'



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"तबियत नासाज़ हुई..
गम-ए-जुदाई में..
*चारागर माफिक..
था दर्ज़ा तेरा..!!"


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*चारागर = हकीम..

Wednesday, July 20, 2011

'ज़र्द..'




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"ख्वाइश-ए-मुलाकात..
ज़र्द हुई..
इस बारिश..
ना समझे..
हाल-ए-दिल..
कभी..!!!"


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'अरमान..'






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"उड़ने की ख्वाइश नहीं..
फ़क़त..
कोई अरमान नहीं..!!!"


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Tuesday, July 19, 2011

'अधूरी कहानी..'




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"अधूरे रिश्ते..
अधूरी कहानी..
बेजुबान जज़्बात..
धडकनें वीरानी..
क्या लिखूं...
अपनी कहानी..
अश्क, रश्क..
रूह बेगानी..!!!"


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'तन्हा हूँ..'




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"तन्हा हूँ..
सुकूत हम-ज़लीस..
ए-वाईज..
ना करना तफ्तीश..!!!"


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'दास्तान-ए-दर्द..'





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"दास्तान-ए-दर्द..
लपेट रखा था..
जिस संदूक..
जंग खा गया..
हसरतों का पानी..
और..
मन्नतों की रवानी..!!!"


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'मरासिम के पौध..'




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"बंधते हैं..
बिगड़ते हैं..
मरासिम के पौध..
हर बारिश पनपते हैं..
आ चाहत का रंग लगा दूँ..
ए-महबूब..
रूह-से-रूह के नाते..
कब नस्ल बदलते हैं..!!!"


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Monday, July 18, 2011

'किश्तें उधार की..'




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"उधार की ज़िन्दगी..
उधार के रिश्ते..
किश्तें उधार की..
रूह से हैं रिसते..
अरमान कारोबार के..
थक गया हूँ..
बेगैरत हंसी..
और..
बेवफा साँसों से..!!"


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'जिंदा रखती हूँ..'



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"जिंदा रखती हूँ..
कलम में..
लौ की पहली साँझ..
शब्दों की पहली मर्यादा..
और..
अच्छाई की पहली लड़ाई..
करना कृपा..
बिछा सकूँ..
करुणा और दया की चटाई..!!"


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Sunday, July 17, 2011

'कूचा-ए-साकी..'




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"ना सफ़र तय हुआ..
ना मिली रूह को *तस्कीन..
मैं अवारा..
दर-ब-दर..
कूचा-ए-साकी..
तलाशता रहा..!!"


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*तस्कीन = आराम/सुकून..

'दास्ताँ..'




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"वेह्शत में डूबी..
कश्ती-ए-इश्क..
संगदिल सर-ए-रास्ता..
क्या जाने..
मिलन की दास्ताँ..!!!"


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Saturday, July 16, 2011

'रेज़ा-रेज़ा रूह..'





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"बिखर रही हूँ..
आज फिर..
क्या संभालने आओगे..
रेज़ा-रेज़ा रूह..
आहिस्ता-अहिस्ता रिसता लहू..
आज फिर..
क्या बाँध पाओगे..!!!"


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Friday, July 15, 2011

'कोटि-कोटि प्रणाम..'




गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आदरणीय गुरुजनों को सादर नमन..!!!


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"रज चरणों की..
भक्ति गुणों की..
सरलता ह्रदय की..
तरलता विषयों की..

सार जीवन का..
भेद आत्मा का..
त्याग विकारों का..
ज्ञान शैली का..

लौ से बहती गंगा..
मोती माणक मनका..
चरित्र निर्माण विशाला..
'गुरु' पद संवारा..

कृतज्ञ हूँ..
गुरुवर..
पा तुमको..

निर्मल बन जाऊं..
कृपादृष्टि..
रखना सदैव..

'तुच्छ' पिपासु का..
कोटि-कोटि प्रणाम..!!!"


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Thursday, July 14, 2011

'हयात-ए-ज़िन्दगी..'



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"गूंजता सन्नाटा..
यादों की शहनाई..
कदमों की आहट..
कंपकंपाता जिस्म..
सुलगती रूह..
बेइन्तिहाँ इंतज़ार..
सुकून-ए-लफ्ज़..

हयात-ए-ज़िन्दगी..
ना कर..
यूँ जुदा..!!!"

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'मेरा अपना..'




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"दर्द ही अपना होता है..
जब कोई और नहीं होता..
होता है सारा जहां आस-पास ..
फ़क़त कोई मेरा अपना नहीं होता..!!"

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Wednesday, July 13, 2011

'नाराज़..'



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"नाराज़ हूँ..
बेवफ़ा नहीं..
रूह मेरी..
मेरी नहीं..!!!"


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Tuesday, July 12, 2011

'अलविदा..'

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"अलविदा..

शब-ए-तन्हाई..
जलती रहे..!!"

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'गम-ए-जुदाई..'


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"बेआबरू हो निकली..
जुस्तजू-ए-वफाई..
रखा महफूज़..
गम-ए-जुदाई..!!!"

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Saturday, July 9, 2011

'रहम..'

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"डूबती कश्ती..
सुलगती रूह..

या खुदा..रहम..!!!"


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Thursday, July 7, 2011

'चश्म-ए-अब्र..'




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"बरसते हैं..
रूह की वादियों से.
नासूर..
जब कभी..
दफ़्न..
होते हैं..
फ़क़त..
चश्म-ए-अब्र..!!"


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Tuesday, July 5, 2011

'लकीर..'





...


"बारहां..
साज़िश-ए-साक़ी होती..
हर रोज़..
मिटा सको जो..
ऐसी लकीर..
मैं वो नहीं..!!"


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Saturday, July 2, 2011

'दिलचस्प है..'




...


"दिलचस्प है..
आईने की किताबें.
हर पन्ना..
सपाट..
हर जुस्तजू..
बिखरती..
तपाक..!!!"


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Friday, July 1, 2011

'काफ़िला..'




...


"काफ़िला बसर किये..
ज़िन्दगी गुजरी..
ना गुज़र सके..
जो गुज़रे थे..
रूह से..!!"


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